शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

सम्बन्ध

         सम्बन्ध आप के साथ किसका है और आप से सम्बन्ध कौन रख रहा हैं, और आप उससे कैसे सम्बन्ध रख रहे इस बात का प्रभाव आप के विचारों से पड़ता हैं. माता का सम्बन्ध एक भावनात्मक अपने सन्तान से होता हैं सन्तान का सम्बन्ध उसकी परवरिश से जुड़ा होता हैं, परवरिश में उसका पालन और पोषण का सर्वाधिक रहता, बच्चा ज्ञान-अज्ञान से रहता हैं, जो माता अपने सन्तान को संस्कार और सुविधाओं में भेद करके ज्ञान देती वो माता अपने सन्तान को विकसित करने में बहुत सहायता करती है,
          सबंध पारिवारिकता से शुरुआत होती हैं, अनेक प्रकार से, अनेक दिशाओ में सम्बन्ध अग्रसर होता हैं, व्यक्ति से व्यक्ति का सम्बन्ध, जातीय से जातीय सम्बन्ध, जातीय से विजातीय सम्बन्ध, जैसे- बालक से बालिका का सम्बन्ध. हर सम्बन्ध में स्वार्थ छिपा होता हैं, पारिवारिक स्वार्थ सबसे निर्मल स्वार्थ होता, दूसरा सम्बन्ध दोस्ती का जो पावन सम्बन्ध होता, बाकी सम्बन्धो को पहचान की आवश्यकता हैं, सम्बन्ध असली और सम्बन्ध नकली भी पाए जाते है. पहचान अपनी योग्यताओं करना जरूरी होता हैं की ये सम्बन्ध लाभदायक है अथवा हानि कारक.
        सम्बन्ध बनाने की गति भी मानी जाती है, सम्बन्ध की तीव्रता और मंदता का भी अध्यन आवश्यक होता है.

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