ध्यान अपने अपने विचारों पर रखना चाहिए, क्योंकि हमारे बोलने से ये शब्द बनते हैं, और इस लिए हमारा ध्यान इन शब्दों पर होना चाहिए, क्योंकि ये शब्द ही हमारे कार्य बनते हैं, कार्य करने से हमारा स्वभाव पैदा होता है, और इस कार्य से ही हमारी आदतों का निर्माण होता हैं, और इन आदतों के कारण ही हमारा चरित्र बनता है, और इस चरित्र के ही हमारे आदर्शों का निर्माण होता हैं, इस चरित्र निर्माण से ही हमारा व्यक्तित्व बनता है, व्यक्तित्व ही हमारे परिवार की पहचान होती हैं.
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